Female Foeticide (कन्या-भ्रूण हत्या)

मैं अजन्मी, थी अजन्मी आैर अजन्मी रह गयी।
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Female Foeticide

जन्म से पहले मरी,
क्यों मेरी बलि चढ़ी ?
क्या गुनाह था मेरा ?
पूछती हूँ मैं खड़ी ।
सावन में ही नन्हीं कली
पेड़ से बिछड़ गयी।

मैं अजन्मी, थी अजन्मी आैर अजन्मी रह गयी।

क्या मेरी माँ को सूझा,
क्या मेरे पिता ने ठानी !
लिख दी मेरे लहु से
मेरे जीवन की कहानी।
क्यों भला एक अौर बेटी
आज सूली चढ़ गयी ?

मैं अजन्मी, थी अजन्मी आैर अजन्मी रह गयी

माँ तू मेरी ढाल थी ।
तू मेरी आवाज थी ।
तू मेरा अतीत ,
भविष्य, वर्तमान थी ।
क्यों तेरे आँचल से ही
साँस मेरी घुट गयी ।

मैं अजन्मी, थी अजन्मी आैर अजन्मी रह गयी।

क्यों तू रूठी मुझको बता ?
क्या मैंने की कोई ख़ता ?
क्या हुआ था आज तुझको ?
क्यों न आयी मुझ पर दया ?
क्यों नहीं ये सुर्ख़ आँखें
छलछला कर बह गयी ।

मैं अजन्मी, थी अजन्मी आैर अजन्मी रह गयी।

रह रहा कर मैं चीखी,
माँ माँ मैं कराही।
क्या मेरी कमजाेर चीख
माँ बता तू सुन ना पायी?
तुझसे माँ कहने की आस
आज दिल में रह गयी।

मैं अजन्मी, थी अजन्मी आैर अजन्मी रह गयी।

अगले बरस बेटा बनूँगी,
तेरे लहु मैं फिर रहूँगी।
तब मेरा जीवित शरीर
बाहों मे तेरे रहेगा।
माँ तब तू भी हँसेगी,
आँसू ना मेरा बहेगा।
सोच-सोच करके यह
दर्द-ए-जुदाई सह गयी।

मैं अजन्मी, थी अजन्मी आैर अजन्मी रह गयी।

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© Puja Bhatt  (2008)
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Comments

  1. We wrote a poem on the Poem on female foeticide in hindi and here is our final work. So let's go and check it.

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